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Short Biography of Mahatma Gandhi in Hindi

Short Biography of Mahatma Gandhi in Hindi

आज के इस पोस्ट में हम महात्मा गाँधीजी के बायोग्राफी (Biography) के बारे में जानेंगे , जैसे महात्मा गांधीजी का पूरा नाम क्या था, उनका जन्म कब और कहाँ हुआ था, उनके कार्य उपलब्धिया, प्रारंभिक जीवन, भारतीय स्वतंत्रता में गांधीजी का क्या योगदान रहा ! Short Biography of Mahatma Gandhi in Hindi
                                                      
Short Biography of Mahatma Gandhi in Hindi
Short Biography of Mahatma Gandhi

महत्मा गांधीजी का पूरा नाम क्या था ➥

महात्मा गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था ! 

महात्मा गांधीजी का जन्म कब और कहाँ हुआ था ➥ 

महात्मा गांधीजी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869, को पोरबंदर, काठियावाड़ एजेन्सी, जो की अब गुजरात में है ! गांधीजी का जन्मदिन, 2 अक्टूबर, भारत में गाँधी जयंती के रूप में मनाया जाता है, महात्मा गांधीजी को भारत में राष्ट्रपिता माना जाता है ! Short Biography of Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधीजी के अन्य नाम ➥
महात्मा गांधीजी के अन्य नाम कुछ इस प्रकार है, महात्मा गाँधी, बापू जी, गाँधी, एमके गाँधी !

महात्मा गांधीजी के माता-पिता के नाम ➥
महात्मा गांधीजी के पिता का नाम  करमचंद गाँधी और माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था !

गांधीजी को किस लिए जाना जाता है ➥
भारतीय सवंत्रता आंदोलन, अहिंसक प्रतिरोध के लिए जाना जाता है ! 

महात्मा गांधीजी के पत्नी और बच्चे के नाम ➥
महात्मा गांधीजी के पत्नी का नाम कस्तू रबा गाँधी और उनके बच्चे का नाम हरिलाल, मणीलाल, रामदास और देवदास था ! 

महात्मा गांघीजी के प्रारंभिक जीवन ➥                  

महात्मा गांधीजी का जन्म भारत के गुजरात राज्य के एक तटीय शहर पोरबंदर में 2 अक्टूबर, 1869 में हुआ था ! गांधीजी के पिताजी जिनका नाम करमचंद गाँधी था, वो ब्रिटिश राज के समय काठियावाड़ की एक छोटी सी रियासत, पोरबंदर के दिवान थे ! बापूजी की माँ जिनका नाम पुतलीबाई गाँधी था, व परनामी वेश्य समुदाय से ताल्लुक रखती थी और अत्यधिक धार्मीक प्रवित्ति की थी जिसके कारण गांधीजी पर भी आगे चलकर उनके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ! भारतीय क्लासिक्स विशेषकर श्रवण और राजा हरिचन्द्र की कहानियों का बचपन में बापूजी पर बहुत प्रभाव था ! गांधीजी के पिता करमचंद हिन्दू परिवार से थे और वंही उनकी माँ पुतलीबाई एक प्रणामी वैष्णव हिन्दू परिवार से थी ! गांधीजी के माँ एक अत्यंत पवित्र महिला थी, जो अपनी दैनिक प्राथर्ना के बिना अपना भोजन लेने के बारे में नहीं सोचती थी ! 9 साल की उम्र में, गांधीजी ने राजकोट के स्थानीय स्कूल में अपने घर के पास दाखिल हुए ! वंहा से उन्होंने अंकगणित, इतिहास, गुजराती भाषा और भूगोल के बारे में अध्ययन किया ! गांधीजी ने 11 साल की उम्र में उन्होने राजकोट के हाईस्कूल में दाखिला लिया, गांधीजी ने कुछ पुरस्कार भी जीते थे ! शैक्षणिक स्तर पर गांधीजी एक औसत छात्र ही रहे ! Short Biography of Mahatma Gandhi in Hindi

वर्ष 1883 में गांधीजी को 13 साल की उम्र में ही उनका विवाह 14 साल की कस्तूरबा से करा दिया गया ! 1885 में  पिता करमचंद गाँधी का देहांत हो गया ! उस वक्त महात्मा गांधीजी 16 साल के ही थे ! जब गांधीजी 15 वर्ष के थे तब उनकी संतान ने जन्म लिया, जो की कुछ ही दिन तक जीवित रही ! बाद में गांधीजी और कस्तूरबा के चार संतान हुई - हरीलाल गाँधी (1888), मणिलाल गाँधी (1892), रामदास गाँधी (1897) और देवदास गाँधी (1990)

Short Biography of Mahatma Gandhi in Hindi

विदेशों में शिक्षा और वकालत ➥


गांधीजी अपने परिवार में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे थे इसलिए उनके परिवार वालों को ऐेसा मानना था की वह अपने पिता व् चाचा का उत्तराधिकारी बन सके थे ! उनके एक परिवारिक दोस्त मावजी दवे ने ऐसी सलाह दी की एक बार मोहनदास लन्दन से बैरिस्टर बन जाएँ तो उनको आसानी से दिवान की पदवी मिल सकती थी ! उनकी माता पुतलीबाई और परिवार के अन्य सदस्यों ने उनके विदेश जाने के विचार का विरोध किया, तब पर भी मोहनदास के अस्वासन पर राजी हो गए ! और गांधीजी वर्ष 1888 में मोहनदास यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में कानून की पढ़ाई करने और बैरिस्टर बनने के लिये इंग्लैंड चले गयें ! 

अपने माँ को दिए गए वचन के अनुसार ही उन्होंने लन्दन में अपना वक्त गुजारा ! गांधीजी को लन्दन में शाकाहारी भोजन खाने से सम्बंधित थोड़ी बहुत कठिनाइयाँ हुई और शुरुआती दिनों में कई बार भूखे ही रहना पड़ता था ! फिर उन्होंने धीरे-धीरे शाकाहारी भोजन वाले रेस्टोरेंट्स के बारे में पता लगा लिया ! 

जून, 1891 में गांधीजी भारत लौट आए और यंहा भारत में अपनी माँ के मौत के बारे में पता चला ! उन्होंने बॉम्बे में वकालत की शुरुआत की पर उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली ! गांधीजी कुछ समय बाद राजकोट चले गए जंहा उन्होंने ज़रूरतमंदो के लिए मुकदमे की अर्जियाँ लिखने का काम शुरू कर दिया ! लेकिन कुछ दिनों उनको ये भी काम छोड़ना पड़ा ! Short Biography of Mahatma Gandhi in Hindi

आखिरकार वर्ष 1893 में एक भारतीय फर्म से नेटल (दक्षिण अफ्रीका) में एक वर्ष के करार पर वकालत का कार्य स्वीकार कर लिया ! 

दक्षिण अफ्रीका में गांधीजी के कुछ पल (1893-1914)

24 वर्ष की आयू में गांधीजी दक्षिणअफ्रीका चले गयें ! वह प्रिटोरिया स्थित कुछ भारतीय व्यापारिको के न्यायिक सलाहकार के तौर पर वंहा गए थे ! गांधीजी 21 साल तक दक्षिण अफ्रीका में रहे ! दक्षिण अफ्रीका में ही गांधीजी को राजनैतिक विचार और नेतृत्व कौशल का विकास हुआ ! गांधीजी को दक्षिण अफ्रीका में गंभीर नस्ली भेदभाव का सामना करना पड़ा ! एक बार ट्रेन में प्रथम श्रेणी कोच की वैध टिकट होने के बाद भी तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने से इंकार करने के कारण उन्हें ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया ! 

ये सारी घटनाएँ उनके जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ बन गई और मौजूदा सामाजिक और राजनैतिक अन्याय के प्रति जागरूकता का कारण बानी ! दक्षिण अफ्रीका में भारतीय पर हो रहे अन्याय को देखते हुए उनके मन में ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत भारतीयों के सम्मान तथा स्वंय अपनी पहचान से सम्बंधित प्रशन उठने लगे ! 

गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों को अपने राजनैतिक और सामाजिक अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया !उन्होंने भारतीयों की नागरिकता संबन्धित मुद्दे को भी दक्षिण अफ़्रीकी सरकार के सामने उठाया और वर्ष 1906 के जुलु युद्ध में भारतीयों को भर्ती करने के लिए ब्रिटिश अधिकारियो को सक्रिय रूप से प्रेरित किया !

भारत में स्वतंत्रा के लिए संघर्ष (1916-1945)➤  

वर्ष 1914 में कांग्रेस नेता गोपाल के कहने पर गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत चले आयें ! और शुरुआती दिनों में गांधीजी ने देश के भिन्न-भिन्न जगहो का दौरा किया और राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों को समझने की प्रयाश की !

चम्पारण और खेड़ा सत्याग्रह ➤

गांधीजी को भारत में पहली राजनैतिक सफलता बिहार के चम्पारण और गुजरात के खेड़ा में हुए आंदोलनो से मिली ! बिहार के चम्पारण में मजदूरों की स्थिति दिन पर दिन बहुत खराब होती जा रही थी, क्योंकि ब्रिटिश जमींदार किसानों को खाद्य फसलों की जगह नील  की खेती करने के लिए मजबूर करते थे और सस्ते मूल्य पर फसल खरीदते थे ! गांधीजी ने जमींदारों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और हड़तालों का नेतृत्व किया जिसके बाद गरीब और किसानों की मांगो को माना गया ! Biography of Mahatma Gandhi in short

वर्ष 1918 में गुजरात स्थित खेड़ा बाढ़ और सूखे की चपेट में आ गया था जिसके कारण किसान और गरीबों की स्थिति बदतर हो गयी और लोग माफ़ी की मांग करने लगे ! खेड़ा में गांधीजी के मार्गदर्शन में सरदार पटेल ने अंग्रेजों के साथ इस समस्या पर विचार विमर्श के लिए किसानो का नेतृत्व किया ! इसके बाद अंग्रेजों के राजस्व संग्रहण से मुक्ति देकर सभी कैदियों को रिहा क्र दिया ! इस प्रकार चम्पारण और खेड़ा के बाद गाँधीजी की ख्याति देश भर में फ़ैल गई और वह सवंत्रता आंदोलन के लिए महत्वपूर्ण नेता बनकर उभरे !

खिलाफत आंदोलन ➤

कांग्रेस के अंदर और मुस्लिमों  बीच अपनी लोकप्रियता बढ़ाने का मौका गांधीजी को खिलाफत आंदोलन के जरिये मिला ! खिलाफत एक विश्वव्यापी आंदोलन था जिसके द्वारा खलीफा के गिरते प्रभुत्व का विरोध साडी दुनिया के मुसलमानों द्वारा किया जा रहा था ! प्रथम विश्व युद्ध में पराजित होने के बाद ओटोमन साम्राज्य विखंडित कर दिया गया था जिसके कारण मुसलमानों को अपने धर्म और धार्मिक स्थलों के सुरक्षा को लेकर चिंता बनी हुई थी ! भारत में "आल इंडिया मुस्लिम कांफ्रेंस" द्वारा खिलाफत आंदोलन का नेतृत्व किया जा रहा था ! बाद में फिर गांधीजी इसके प्रवक्ता बन गए ! भारतीय मुसलमानों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए उन्होंने अंग्रेजों द्वारा दिए गए सम्मान व मेडल को वापस क्र दिया, जिसके बाद गांधीजी न सिर्फ कांग्रेस बल्कि देश के एकमात्र ऐसे नेता बन गए जिसका प्रभाव भिन्न भिन्न समुदायों के लोगो पर था ! 

असहयोग आंदोलन ➤

इस आंदोलन में गांधजी को ये मनना था की अगर हमें अंग्रेजों से आजादी चाहिए तो उनके बातों को नहीं मानना होगा, और हमें अपने ही देश में बनाये गए वस्तुओं को इस्तेमाल करना चाहिए और विदेशी वस्तुओं को बहिष्कार करना चाहिए, महात्मा गांधीजी ने  ब्रिटेन की शैक्षणिक संस्थाओ और अदालतों का बहिष्कार, सरकारी नौकरियों को छोड़ने तथा अंग्रेज सरकार से मिले तमगो और सम्मान को वापस लौटाने का भी अनुरोध किया ! इस आंदोलन में धीरे-धीरे सफलता मिल ही रही थी जिससे सभी वर्गों में जोश और भागीदारी बढ़ गई परन्तु 1922 फरवरी में इसका अंत चौरी-चौरा काण्ड के साथ हो गया ! इस घटना के बाद गांधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया, फिर उन्हें गिरफ्तार कर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया जिसके कारण उनको 6 साल कैद की सजा सुनाई गयी लेकिन खराब स्वास्थ्य के चलते उन्हें 1924 में सरकार ने रिहा कर दिया ! Biography of Mahatma Gandhi in short

बाद में फिर और भी कई आंदोलन हुए जैसे - स्वराज और नमक सत्यग्रह, हरिजन आंदोलन, दूसरा विश्व युद्ध और भारत छोड़ो आंदोलन 

और बाद फिर देश का विभाजन और आजादी , भारत पाकिस्तान का अलग होना 

गांधीजी की हत्या ➤

30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधीजी को दिल्ली के बिरला हाउस  में नाथूराम गोडसे ने उनके सीने में 3 गोलियां दाग दी जिसके कारण महात्मा गांधीजी की मौत हो गई ! फिर बाद में नाथूराम गोडसे को मौत की सजा सुनाई गयी !

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